
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के ऐलान के एक दिन बाद, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
राहुल गांधी का पत्र: लोकतंत्र की आवाज बुलंद
राहुल गांधी ने पत्र में लिखा—
“मैं विपक्ष की सर्वसम्मति से, एक बार फिर अपील करता हूं कि संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाए। पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर पर चर्चा बहुत ज़रूरी है।”
उन्होंने कहा कि यह देशवासियों और उनके जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखने और सरकार से जवाब मांगने का अधिकार भी देता है।
सीजफायर और ट्रंप का दखल
राहुल ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी, न कि भारत सरकार ने। ऐसे में इस विषय पर स्पष्टता और जवाबदेही बेहद जरूरी है।
उन्होंने लिखा—
“यह मौका है कि हम देश के सामने खड़ी चुनौतियों का मिलकर सामना करने के संकल्प को दिखाएं।”
कौन-कौन से मुद्दे उठाना चाहते हैं राहुल गांधी?
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पहलगाम आतंकी हमला – जिसमें सेना के जवान शहीद हुए।
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ऑपरेशन सिंदूर – भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई और रणनीति।
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सीजफायर की प्रक्रिया और अमेरिकी भूमिका – पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग।
लोकतंत्र बनाम चुप्पी: विपक्ष की रणनीति
राहुल गांधी का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब देश में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बहस तेज है। उनका कहना है कि लोकसभा को साइलेंट मोड में नहीं रखा जा सकता, जबकि देश सवाल पूछ रहा है।
सरकार की अगली चाल?
अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष की इस मांग को कैसे लेते हैं। क्या संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा? या फिर इस बहस को केवल सरकार की ब्रीफिंग्स तक ही सीमित रखा जाएगा?
देश को जवाब चाहिए, और मंच चाहिए – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपने पत्र से एक बार फिर स्पष्ट किया है कि विपक्ष केवल आलोचना के लिए नहीं, जवाबदेही के लिए लड़ रहा है। संसद में चर्चा, सवाल और जवाब के जरिए ही लोकतंत्र की सच्ची तस्वीर सामने आती है।
सवाल अब पीएम मोदी से है — क्या वो विपक्ष की इस अपील को लोकतांत्रिक जिम्मेदारी मानेंगे, या राजनीतिक शोरगुल?